शहीद – ए – आज़म भगत सिंह का 94 वा शहादत दिवस – लखनऊ उत्तर प्रदेश Purvanchal 24×7 News

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शहीद – ए – आज़म भगत सिंह का 94 वा शहादत दिवस



मुहम्मद कलीम इकबाल, लखनऊ, उत्तर प्रदेश

शहीद-ए-आज़म भगतसिंह के 94वें शहादत दिवस पर आज भाकपा (माले) ने लखनऊ के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके सपनों का भारत — एक समाजवादी और शोषणविहीन भारत — बनाने का संकल्प दोहराया।

सुबह 8.00 बजे से तकरोही के अंबेडकर चौराहा (लेबर अड्डा) पर, 10.00 बजे सरैया बाजार (बीकेटी) में, 12.30 बजे गोराही और 3.00 बजे कुम्हरावां में शहादत दिवस के कार्यक्रम आयोजित हुए। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम मेहबूल्लापुर में शाम 5.00 बजे आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र, श्रमिक और स्थानीय नागरिक शामिल हुए।

शहादत समारोहों को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के जिला प्रभारी कॉ. रमेश सिंह सेंगर ने कहा, “भगतसिंह दुनिया के एकमात्र ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने न केवल अंग्रेजी हुकूमत को हिला दिया, बल्कि मजदूरों, किसानों और युवाओं के लिए एक समतामूलक समाज का सपना भी रचा। उनका सपना केवल आज़ादी नहीं, बल्कि शोषणमुक्त समाज था। आज की सरकारें उनके सपनों से धोखा कर रही हैं। हमारी पार्टी उनका सपना पूरा करने के लिए संघर्षरत है।”

आज जब सत्ता के द्वारा इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है, भगतसिंह की विचारधारा को ‘राष्ट्रवाद’ की सतही धारणाओं में सीमित किया जा रहा है, तब असली भगतसिंह को पहचानना और उन पर आधारित संघर्ष को आगे बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। वे साम्राज्यवाद, पूंजीवाद, जातिवाद और सांप्रदायिकता के कट्टर विरोधी थे। परंतु आज इन्हीं ताक़तों को सरकार संरक्षण दे रही है। भगतसिंह के नाम का इस्तेमाल करके उन्हीं मूल्यों को रौंदा जा रहा है जिनके लिए उन्होंने जान दी। ऐसे समय में उनकी विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाना सबसे बड़ा श्रद्धांजलि कार्यक्रम है।

ऐक्टू से कॉ. मगन ने कहा, “भगतसिंह ने मजदूर वर्ग को समाज के परिवर्तन का केंद्र माना था। आज मज़दूरों को ठेकेदारी, कम मजदूरी और सामाजिक असुरक्षा के जाल में फंसाया जा रहा है। लेकिन हम शहीद-ए-आज़म के आदर्शों पर चलते हुए मज़दूर वर्ग की गोलबंदी कर रहे हैं और एक न्यायपूर्ण समाज के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”

अखिल भारतीय किसान महासभा से कॉ. छोटे लाल ने कहा, “भगतसिंह ने कहा था कि क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है। आज खेती को पूंजीपतियों के हवाले किया जा रहा है, किसानों की ज़मीन छीनी जा रही है, और आंदोलन को दमन से कुचला जा रहा है। ऐसे समय में हमें भगतसिंह की विचारधारा और संघर्ष से प्रेरणा लेकर किसान आंदोलन को तेज करना होगा।”

इंक़लाबी नौजवान सभा से कॉ. राजीव ने कहा, “भगतसिंह सिर्फ अतीत का नायक नहीं हैं, वे आज की लड़ाई के भी नायक हैं। बेरोज़गारी, शिक्षा में कटौती, युवाओं की आवाज़ों को कुचलना — ये सब इस व्यवस्था की असलियत हैं। हमें भगतसिंह की तरह विद्रोही बनना होगा और इस व्यवस्था को बदलने के लिए संगठित संघर्ष खड़ा करना होगा।”

आइसा से कॉ. शान्तम ने कहा, “आज भगतसिंह का नाम तो लिया जाता है लेकिन उनके विचारों को दबाया जा रहा है। उन्होंने शिक्षा को क्रांति का औज़ार माना था। आज जब शिक्षा को कॉरपोरेट के हवाले किया जा रहा है, जब छात्रों की आवाज़ें दबाई जा रही हैं, तब भगतसिंह के रास्ते पर चलना और जरूरी हो गया है। हम शिक्षा, रोज़गार और लोकतंत्र की लड़ाई में उनके विचारों को ज़िंदा रखेंगे।”

भाकपा (माले) की ओर से सभी कार्यक्रमों में भगतसिंह की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया, क्रांतिकारी गीतों का गायन हुआ और स्थानीय लोगों को उनके विचारों से अवगत कराया गया।

इन प्रमुख साथियों की भागीदारी उल्लेखनीय रही:
कॉ. राम सागर जगत
कॉ. राम सेवक रावत
कॉ. शिवाजी यादव
कॉ. रमेश शर्मा
कॉ. राजू रावत
कॉ. राम किशोर
कॉ. विजय कुमार वर्मा
कॉ. गजराज
कॉ. बनवारी
कॉ. रामकली
कॉ. गुड़िया
कॉ. रजनी
कॉ. मीना रावत

भवदीय,
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले), लखनऊ

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Author: Purvanchal 24x7

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