शहीद भगत सिंह शहादत दिवस का आयोजन
फासीवाद के विरुद्ध जन संघर्षों को तेज करने का संकल्प
मुहम्मद कलीम इकबाल, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
लखनऊ, 23 मार्च। शहीदे आजम भगतसिंह और उनके साथियों के शहादत दिवस पर लखनऊ शहर के विभिन्न क्षेत्रों – तकरोही लेबर अड्डा, सरैया बाजार, गोराही, कुम्हरावा, महबूल्लापुर, स्कूटर्स इंडिया कालोनी दरोगा खेड़ा आदि जगहों पर भाकपा माले की तरफ से विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए।
वहीं, शहीद स्मारक पर जन संस्कृति मंच, नागरिक परिषद, आल इंडिया वर्कर्स कौंसिल आदि संगठनों की ओर से शहीद-ए-आजम भगतसिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर स्मृति सभा का आयोजन किया गया। आज़ ही पंजाबी के क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाश का भी शहीदी दिवस है। उन्हें भी याद किया गया। अध्यक्षता क्रांति कुमार शुक्ला ने की। संचालन किया वीरेंद्र त्रिपाठी ने।

इस मौके पर शकील सिद्दीकी, असगर मेहदी, तस्वीर नक़वी, विमल किशोर, ओ पी सिन्हा, कौशल किशोर, देवेन्द्र वर्मा, प्रभात श्रीवास्तव, के पी यादव आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
वक्ताओं का कहना था कि भगत सिंह ने बार-बार स्पष्ट किया था कि आजादी से उनका मतलब ब्रिटिश सत्ता की जगह देशी सामंतो व पूँजीपतियों की सत्ता नहीं, बल्कि शोषण उत्पीड़न से करोड़ों करोड़ों मेहनतकशों की आजादी तथा मेहनतकश जनता के हाथों में वास्तविक सत्ता का होना है।

वक्ताओं ने आगे कहा कि सख्त अफसोस की बात है कि भगत सिंह और उनके साथियों ने आजादी का जो सपना देखा था, जिस संघर्ष और क्रांति का आह्वान किया था, वह अधूरा ही रहा। जरूरी है कि उनके विचारों को दूर तक पहुंचाया जाए। फासीवादी शक्तियों के विरुद्ध जनता के संघर्षों को तेज किया जाए। उन्हें याद करने का यही मतलब है।
इस मौके पर कौशल किशोर ने अवतार सिंह पाश की कविता को उद्धृत किया जिसमें वे कहते हैं ‘भगत सिंह ने पहली बार पंजाब/जंगलीपन, पहलवानी व जहालत से /बुद्धिवाद की ओर मोड़ा था/जिस दिन फाँसी दी गई/उनकी कोठरी में लेनिन की किताब मिली /जिसका एक पन्ना मुड़ा हुआ था/पंजाब की जवानी को /उसके आखिरी दिन से /इस मुड़े पन्ने से बढ़ना है आगे/चलना है आगे।”

