काशी में भागवत कथा सुनना एवं कहना परम सौभाग्य- व्यास अभिराम दास वाराणसी Purvanchal 24×7 News

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काशी में भागवत कथा सुनना एवं कहना परम सौभाग्य- व्यास अभिराम दास
जिला संवाददाता विवेक सिनहा
पूर्वांचल 24 *7 न्यूज़
वाराणसी उत्तर प्रदेश


वाराणसी। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अजय राय के महामंडल, लहुराबीर आवासीय परिसर में आज 108 कलश की भव्य शोभायात्रा के उपरांत श्रीमती रीना राय के सविधि संकल्प के साथ श्रीमद भागवत कथा रस महोत्सव का सप्ताह व्यापी अनुष्ठान आरंभ हुआ। पूर्वाह्न कलश यात्रा के साथ आज प्रथम दिवस पर भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्योत्सव के साथ भागवत कथा अनुष्ठान शुभारंभ हुआ।
भागवत कथा हेतु वृंदावन से पधारे प्रतिष्ठित कथा व्यास अभिराम दास महाराज ने भगवान के प्राकट्य माहात्म्य का विवेचन करते हये कहा कि राधा कृष्ण दर्शन जीवन में परमानंद का स्रोत है। पालनकर्ता नारायण के राम और कृष्ण स्वरूप में कोई विभेद नहीं है, हां राम के नयन में गाम्भीर्य है, तो कृष्ण के नयन में चपलता, लेकिन अपने हर रूप में ईश्वर सच्चिदानंद स्वरुप हैं, जिनके दर्शन एवं भक्ति से सभी दैहिक, दैविक भौतिक तापों का उन्मूलन होता है।


उन्होंने कहा कि सूर्य का प्रकाश बाह्य अंधकार को दूर कर सकता है, लेकिन मन और चित्त का अंधेरा तो भगवत भक्ति से ही दूर होता है, जिसके साथ व्यक्ति के हृदय में प्रेम रस घुल जाता है। वह प्रेम परमानंद का स्रोत है। समर्पित प्रेम से भगवद् भक्ति व्यक्ति के अंदर के अंधकार को दूर कर सही अर्थों में जीवन को प्रकाशमान बनाती है। उसकी राह हरि एवं गुरु कृपा से प्राप्त होती है, ‌मनुष्य जीवन में बड़े जतन से अनेक यात्राओं की तैयारी करता है, लेकिन सभी के जीवन में अनिवार्य अंतिम यात्रा की तैयारी के प्रति अचेतन रहता है। ईश्वर के भक्तवत्सल स्वरूप के साथ भक्तिमय तादात्म्य से जीवन की उस अपरिहार्य यात्रा के प्रति व्यक्ति अपने को तैयार करता है। अतः हरिनाम के अमृत रस के पान के बिना जीने का कोई अर्थ नहीं होता। भागवत कथा और वह भी शिव की काशी में कहना एवं सुनना परम सौभाग्य होता है। बड़े पुण्य से मिलने वाला यह अवसर भक्ति के साथ ही ज्ञान एवं वैराग्य की पात्रता देता है और सही अर्थों में मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। यह कथा निष्काम भक्ति प्रज्ज्वलित कर आंतरिक एवं बाह्य जीवन में प्रेम रस को व्यापक विस्तार देती है।

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Author: Purvanchal 24x7

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