सोशल एक्टिविस्ट रामकिशोर जी की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा – लखनऊ Purvanchal 24×7 News

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सोशल एक्टिविस्ट रामकिशोर जी की
स्मृति में श्रद्धांजलि सभा

मुहम्मद कलीम इकबाल, लखनऊ, उत्तर प्रदेश


8 अप्रैल 2025, लखनऊ। डा. राही मासूम रज़ा साहित्य अकादमी के तत्वावधान में अकादमी के संस्थापक महामंत्री, लेखक व सोशल एक्टविस्ट रामकिशोर की स्मृति में श्रध्दांजलि सभा का आयोजन गांधी भवन स्थित पुस्तकालय हाल में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वन्दना मिश्रा ने व संचालन हाफिज किदवई व वीरेंद्र त्रिपाठी ने किया।
श्रध्दांजलि सभा में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि रामकिशोर जी हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी जीवंतता उनका उत्साह और उनके साथ हम सभी का प्रेमपूर्ण रिश्ता हमारे साथ है। 83 वर्ष की उम्र में 4 अप्रैल 2025 को लखनऊ में हम सभी से अलविदा कहा और अपने सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी हम सभी को सौंप गये। साथी रामकिशोर जी के कार्यों संघर्षों और विचारों का दायरा इतना व्यापक और विविधता पूर्ण है कि हम उन्हें किसी एक वैचारिक सांचे में, या एक सांगठनिक सांचे में फिट नहीं कर सकते।

वे समाजवादी थे लेकिन सिर्फ समाजवादी ही नहीं थोड़ा कम्युनिस्ट भी थे और गांधीवादी भी थे। वे भौतिकवादी थे लेकिन उनके जीवन का एक आध्यात्मिक पक्ष भी था। वे राजनीतिक संघर्षों से जुड़े थे लेकिन उनकी सक्रियता का एक सामाजिक साहित्यिक, सांस्कृतिक दायरा भी था। और सबसे बड़ी बात थी कि उनके सोच और कार्यों में ठहराव नहीं था, वे परिस्थितियों और साथियों से निरंतर सीखते हुये वैचारिक और सामाजिक तौर पर उन्नत और विकसित होते गये। उनकी पूरी जीवन यात्रा इसकी गवाह है।


राम किशोर जी अपने जीवन काल में बहुत से संगठनों से जुड़े, बहुत से संगठनों को बनाया और बहुत से नये कामों की योजना थी। डा. राही मासूम रजा साहित्य अकादमी, सोशलिस्ट फाउन्डेशन, पी यू सी एल, पीपुल्स यूनिटी सेन्टर, सिटिजन्स फार डेमोनेसी, फारवर्ड ब्लाक, साम्राज्यवाद विरोधी मोची, भारत-बांग्लादेश-पाकिस्तान पीपुल्स फोरम, आदि तमाम संगठनों के साथ जुड़कर काम करते हुये समाज को और न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक बनाने के लिये योगदान किया।

इन कामों के साथ ही उन्होंने कई पुस्तके संपादित की और लेखन के क्षेत्र में अपना रचनात्मक योग दान किया। वे पत्रकारिता के क्षेत्र में भी रहे और उ.प्र. वर्किंग जर्नालिस्ट एशोसियन के साथ जुड़े रहे। उनकी प्रमुख पुस्तकें – पोटा एक काला कानून, इंकलाब जिंदाबाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, धर्म निरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता, जब्तशुदा कहानियां, फांसी के तख्ते से प्रेरक प्रसंग, संटों की कहानियां आदि महत्व पूर्ण थीं। आंदोलन, संघर्ष और सृजन आपस में मिलकर उनके जीवन का हिस्सा बन गया था और इस तरह मानव जीवन की संपूर्णता के प्रत्यक्ष उदाहरण बने।


यदि एक वाक्य में उनके बारे में कुछ कहना हो तो हम यही कहेंगे कि वे एक सामान्य जन आंदोलन कारी नहीं बल्कि स्वयं में एक जन आंदोलन थे।


श्रध्दांजलि सभा में ओ. पी. सिन्हा, के. के. शुक्ला, कौशल किशोर, प्रभात कुमार, जय प्रकाश, डी के वर्मा, डा. रमेश दीक्षित, आशीष यादव, बी. एस. कटियार, कल्पना पांडे, फतेह बहादुर सिंह, नवीन तिवारी, आनन्द मोहन सिंह, मीरा वर्धन, राकेश श्रीवास्तव, प्रदीप कपूर, अमीर हैदर, नलिन रंजन सिंह, अल्पना बाजपेयी, नीरज जैन, राजेन्द्र वर्मा, ज्योति राय, महेश देवा, अखिलेश श्रीवास्तव चमन, अतुल श्रीवास्तव, आरिफ खान, मालिक जादा परवेज, सहित अन्य लोगों ने अपनी स्मृतियां साक्षा कर उन्हें श्रध्दांजलि दिया।

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Author: Purvanchal 24x7

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